9789389577327
Rajkamal Prakashan 1994
Language: Hindi
151 Pages
Price INR 150.0 Not Available
उर्दू कथा-साहित्य में इस्मत चुग़ताई एक ऐसा नुमाया नाम है, जिसने साहित्य और साहित्य से बाहर हर तरह की रूढ़ परम्परा को नामंजूर किया। जिस दौर और जिस समाज से उनकी क़लम का रिश्ता रहा है, एक महिला कथाकार के नाते उसे अपनी शर्तों पर निबाह ले जाना बेहद मुश्किल काम था।
इस संग्रह में चुग़ताई की चुनिन्दा कहानियाँ शामिल हैं। ये कहानियाँ हमारी दुनिया और उसकी समाजी सच्चाइयों का ऐसा बयान हैं जिनकी कड़वाहट पर भरोसा किया जा सकता है। इनके माध्यम से हम आज की उस जद्दोजहद से वाबस्ता होते हैं जो इनसानी वजूद और इनसानियत के हक़ में सबसे ज़्यादा ज़रूरी है। आदमी द्वारा आदमी पर होनेवाला ज़ुल्म और ऐसे आदमी को पैदा करनेवाले निज़ाम की तीखी आलोचना इन कहानियों में पूरी कलात्मकता के साथ मौजूद है। यथार्थ की गहरी पकड़, नए अर्थ खोलती अछूती उपमाएँ, बेबाकी-भरा व्यंग्यात्मक लहज़ा, चरित्रों का स्वाभाविक विकास और शब्दों का बेहद किफ़ायती इस्तेमाल इस्मत चुग़ताई के रचनाकर्म की कुछ ख़ास ख़ूबियाँ हैं।